बॉलीवुड और संगीत की दुनिया में मशहूर दिग्गज संगीतकार मोहम्मद जहूर खय्याम का जन्म 18 फरवरी को हुआ था। खय्याम ने अपनी कड़ी मेहनत और लगन से संगीत की दुनिया में एक नया इतिहास रचा। खय्याम साहब ने हिंदी गानों में अपना संगीत देकर उनमें नई जान डाल दी। संगीत के इस महारथी को उनके बेहरतीन संगीत के लिए आज भी याद किया जाता है। खय्याम का असली नाम मोहम्मद जहूर हाशमी था।
संगीत के धनी खय्याम बड़े दिलदार भी थे। साल 2016 में अपने 90वें जन्मदिन के मौके पर उन्होंने अपनी 10 करोड़ की संपत्ति दान कर दी थी। संगीत की दुनिया में उन्होंने कई दिग्गज कलाकारों के साथ काम किया था। खय्याम साहब के जीवन से संबंधित यह किस्सा बहुत कम लोगों को पता है कि संंगीत की दुनिया में कदम रखने से पहले वह एक फौजी थे।
अपने जमाने में उन्होंने काफी समय तक ब्रिटिश इंडियन आर्मी में सेवाएं दी थीं। खय्याम ने उस दौरान दूसरे विश्व युद्ध की लड़ाई में भी हिस्सा लिया था। खय्याम का संगीत का सफर लाहौर से शुरू हुआ। यहां उन्होंने मशहूर पंजाबी संगीतकार बाबा चिश्ती से संगीत की शिक्षा ग्रहण की थी। काफी वक्त तक संगीत की शिक्षा ग्रहण करने के बाद उन्हें साल 19
8 में आई फिल्म हीर रांझा में काम करने का मौका मिला।
इस फिल्म में खय्याम ने बेहतरीन संगीत दिया था, लेकिन इसके बावजूद फिल्म के क्रेडिट रोल्स में उनका असली नाम नहीं दिया गया था,क्योंकि फिल्म का म्यूजिक शर्मा जी- और वर्मा जी की जोड़ी ने कंपोज किया था। दोनों की ख्याति फिल्म इंडस्ट्री में पहले से ही थी। खय्याम ने उमराव जान, कभी-कभी और बाजार जैसी फिल्मों में बेहतरीन संगीत दिया था।
खय्याम साहब ने मोहम्मद रफी, लता मंगेशकर, आशा भोसले, मुकेश और मशहूर शायर-गीतकार साहिर लुधियानवी जैसे दिग्गज कलाकारों के साथ काम किया था। अपने बेहतरीन संगीत के लिए उन्हें तीन बार फिल्मफेयर अवॉर्ड से भी नवाजा गया। साल 1977 में उन्हें फिल्म कभी कभी के लिए पहली बार फिल्मफेयर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। इसके बाद साल 1982 में उन्हें फिल्म उमराव जान के लिए उन्हें दोबारा फिल्मफेयर अवॉर्ड दिया गया। 2010 में उन्हें फिल्मफेयर लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। इसके बाद साल 2011 में खय्याम को पद्म भूषण से भी नवाजा गया।